अंग्रेजों ने जंगल पर जब कब्ज़ा किया
लोगों ने उनके डर से जंगल छोड़ दिया
कई गांव उजड़ गए, कई बिखर गए
कई गांव उजड़ गए, कई बिखर गए
एक दिन फिर शुरू हुई
जंगल पर अपने हक की लड़ाई
सरकार ने पूछा
जंगल में तुम्हारे पुरखों का गांव बताओ
कोई कागज़ पत्र है तो दिखलाओ
जंगल पर अपने हक की लड़ाई
सरकार ने पूछा
जंगल में तुम्हारे पुरखों का गांव बताओ
कोई कागज़ पत्र है तो दिखलाओ
लोगों ने कहा
जिन पत्थरों पर पुरखों के नाम खुदे हैं
देखिए, हम अपनी पीठ पर
वो पत्थर ढोकर आए हैं
हर गांव में पुरखों ने जो
आम और इमली के पेड़ लगाए हैं
हम वही प्रमाण अपने साथ लाए हैं
जिन पत्थरों पर पुरखों के नाम खुदे हैं
देखिए, हम अपनी पीठ पर
वो पत्थर ढोकर आए हैं
हर गांव में पुरखों ने जो
आम और इमली के पेड़ लगाए हैं
हम वही प्रमाण अपने साथ लाए हैं
वही पत्थर, आम और इमली के पेड़ आधार बन गए
लोग जंगलों में फिर से बस गए
फिर से अपने बच्चों के लिए
आम और इमली के पेड़ लगाए
पत्थरों पर अपने नाम खुदवाए
इस डर से कि फिर कोई सरकार
कल बच्चों से मांगने लगे
उनके होने का कोई प्रमाण
जब बारिश, आंधी, तूफ़ान में
कोई काग़ज़ नहीं बचेंगे
सबूत के तौर पर, तब भी
यही पत्थर और पेड़ खड़े रहेंगे
लोग जंगलों में फिर से बस गए
फिर से अपने बच्चों के लिए
आम और इमली के पेड़ लगाए
पत्थरों पर अपने नाम खुदवाए
इस डर से कि फिर कोई सरकार
कल बच्चों से मांगने लगे
उनके होने का कोई प्रमाण
जब बारिश, आंधी, तूफ़ान में
कोई काग़ज़ नहीं बचेंगे
सबूत के तौर पर, तब भी
यही पत्थर और पेड़ खड़े रहेंगे
आज फिर से सरकार मांगती है प्रमाण
और जंगल के लोग खड़े हैं
आम, इमली के पेड़ और वही पत्थर लेकर
जिसपर खुदे हैं उनके पुरखों के नाम
और जंगल के लोग खड़े हैं
आम, इमली के पेड़ और वही पत्थर लेकर
जिसपर खुदे हैं उनके पुरखों के नाम
© जसिंता केरकेट्टा के फेसबुक वाल से


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