गोंड गोटुल से पहले गोटुल शब्द को जानना ज़रूरी है
गोटुल क्या है?
गोटुल, कोयतोर समुदाय का विशेष स्थान है जहाँ लोग सामाजिक, सांस्कृतिक और ज्ञान संबंधी विषयों पर चर्चा करते हैं। “गो” = ज्ञान, “टुल” = स्थान। गोटुल समुदाय की परंपराओं, रीति-रिवाज और ज्ञान का केंद्र है।
गोटुल की स्थापना
गोटुल की स्थापना कोयतोर समुदाय के महान व्यक्तित्व आदि महामानव और संगीत रचियता पहांदी पारी कुपार लिंगो पेन ने की। उन्होंने प्राकृतिक गति को समझकर एंटी-क्लॉक सिद्धांत की खोज की, जिसे समुदाय आज भी अनुसरण करता है।
गोटुल के कार्य
- संगठन की भावना को बल देना।
- सामाजिक कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित करना।
- युवा सदस्यों को अनुशासन और हस्तकला की शिक्षा देना।
- सामुदायिक विपदा का सामना एकजुट होकर करना।
गोटुल के नियम
- सामाजिक कार्यों में सभी सदस्यों की उपस्थिति।
- पर्वों और तीज पर सामूहिक उत्सव।
- पारंपरिक गीतों का ज्ञान।
- लड़कियों के लिए लकड़ी लाना और लड़कों द्वारा पनिया बनाना।
- वरिष्ठों का सम्मान और छोटे सदस्यों के प्रति स्नेह।
- गोटुल के कार्यों का पालन।
- साफ-सफाई और शांति बनाए रखना।
गोंड गोटुल
“गोंड गोटुल” दो शब्दों से बना है –
गोंड = गोंडवाना भू-भाग के निवासी
गोटुल = विमर्श और सीखने का स्थान
उद्देश्य
- गोंडवाना निवासियों की भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराओं को विश्व पटल पर लाना।
- कोयतोर समुदाय और उनके ज्ञान को संरक्षित करना।