दोस्ती आपसे हुई नही थी,,
करते थे हम ये काम।।
करते थे हम ये काम।।
पैसे हमारे पास थे नही ,,
लिखते थे सुबह - शाम।।
लिखते थे सुबह - शाम।।
ईमानदारी ही हमारी पहचान थी,,
लोगो से थी आस।।
लोगो से थी आस।।
राजनीती की कूट नीति से,,
एकदम से,थे हम अंजान ।।
एकदम से,थे हम अंजान ।।
आज नही तो कल,,
करेंगे ,लोगो के दिलो में राज ,,
आया है ,ऐसा पैगाम ।।
करेंगे ,लोगो के दिलो में राज ,,
आया है ,ऐसा पैगाम ।।
नियम यही है,,
सूरज उगता है और डूबता है।।
न लेता है किसी से इम्तिहान ।।
सूरज उगता है और डूबता है।।
न लेता है किसी से इम्तिहान ।।
जय हिन्द !
लेखक एवं प्रेषक - संतराम सलाम , कोदागांव ब्लॉक - अंतागढ़, जिला - उ ब कांकेर (छत्तीसगढ़) मो नम्बर 08827522551

बहुत अच्छा लेकिन जय हिन्द अर्थ क्या है अभी तक मै समझा नहीं.....
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